नीतीश कुमार ने कमल में भरा रंग, सोशल मीडिया पर कयासों की बौछार

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुस्तक मेले के आयोजन में पद्मश्री बउआ देवी द्वारा केनवास पर बनायी गई कमल के फूल की तस्वीर में ब्रश उठाकर लाल रंग भरकर कई कयासों को जन्म दे दिया। सोशल मीडिया पर वायरल इस तस्वीर ने कई साल पुरानी दोस्तीं की याद दिला दी है और वो 17 साल का रिश्ता साथ क्या दोबारा एक होगा ये सवाल फिर उठने लगे हैं। गौरतलब है कि नोटबंदी का भी सबसे पहले समर्थन करने वाले नीतीश कुमार ही थे हालांकि फिर नोटबंदी के भारी विरोध पर वो इधर के रहे थे और ना उधर के। मुख्यमंत्री पटना पुस्तक मेला परिसर स्थित ‘कलाग्राम’ में प्रवेश कर रहे थे, तभी पद्म पुरस्कार से सम्मानित मिथिला पेंटिंग की जानीमानी कलाकार बउआ देवी ने कैनवास पर कमल फूल की तस्वीर बनाई। आयोजकों ने मुख्यमंत्री से इस कलाकृति पर हस्ताक्षर करने का निवेदन किया। नीतीश कुमार ने भी देर नहीं की और पहले तो बउआ देवी द्वारा बनाए गए कमल के फूल में कूची उठाकर लाल रंग भरा और फिर अपने हस्ताक्षर कर दिए। कई लोगों ने इस तस्वीर को विभिन्न सोशल साइटों पर पोस्ट कर दी। इसके बाद तरह-तरह के कमेंट आने लगे। गौरतलब है कि नीतीश कुमार के जदयू और भाजपा का 17 वर्षों तक गठबंधन रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी करार देते हुए जदयू, भाजपा से अलग हो गया था। बिहार में इस समय धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का महागठबंधन सत्तारूढ़ है, जिसमें जदयू भी शामिल है। हाल के दिनों में केंद्र सरकार के समर्थन में दिए गए कई बयानों के बाद नीतीश और भाजपा के बीच नजदीकी के भी कयास लगते रहे हैं। यह दीगर बात है कि नीतीश ने कई मौकों पर इसका खंडन किया है। इससे पहले मुख्यमंत्री ने पटना के ऐतिहासिक गांधी

मैदान में 23वें पटना पुस्तक मेले का उद्घाटन किया। 11 दिनों तक चलने वाले इस पुस्तक मेले में बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमियों के भाग लेने की संभावना है। पिछले वर्ष की भांति इस पुस्तक मेला में भी कलाग्राम बनाया गया है, जिसमें विभिन्न राज्यों से आए कलाकार अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन कर रहे हैं। सेंटर फॉर रीडरशिप डेवलपमेंट (सीआरडी) द्वारा आयोजित होने वाले पटना पुस्तक मेले में 300 प्रकाशक भाग ले रहे हैं। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पुस्तक मेला एक सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम है। बिहार के गौरवशाली अतीत की तरह पटना पुस्तक मेला भी बिहार की एक पहचान बन गई है। उन्होंने पुस्तक मेला अयोजनकर्ताओं से 25वां पटना पुस्तक मेला बड़े पैमाने पर लगाने की अपील की। नीतीश ने कहा, “बिहारियों का मन और मिजाज पढ़ने का होता है और ये हमेशा से उनकी पहचान रही है। असल बिहारी का मिजाज पढ़ना ज्ञान देना और ज्ञान लेना होता है, जिसका उदाहरण हाल के दिनों में बिहार ने प्रकाश पर्व, शराबबंदी और मानव श्रृंखला के जरिए लोगों को देने का काम किया है।” उन्होंने कहा कि किताब केवल पढ़ने से ही नहीं होगा, बल्कि उसके ज्ञान को अंगीकार करने की भी जरूरत है।