सादगी की मिसाल हैं मनोहर पर्रिकर

गोवा: मनोहर पर्रिकर की सादगी का हर कोई कायल है। उनको काफी साधारण व्यक्तित्व वाला शख्स माना जाता है। गोवा के सीएम रहते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री आवास में रहने से मना कर दिया था और खुद के एक छोटे से घर में रहते थे। वह टी स्टाल में चाय पीते भी नजर आ जाते हैं। वह 24 अक्तूबर 2000 को पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री बने थे। सीएम पद संभालने से ठीक पहले उनकी पत्नी की कैंसर से मौत हो गई। लिहाजा पर्रिकर के ऊपर अपने दो बच्चों की जिम्मेदारी भी आ गई। हालांकि वह हारी नहीं माने और निडर एवं ईमानदार मुख्यमंत्री के रूप में अपनी शानदार छवि बनाई। नवंबर 2014 में उनको देश का रक्षामंत्री बनाया गया। पर्रिकर मुख्यमंत्री बनने वाले देश के पहले आइटियन हैं। साल 1978 में उन्होंने आईआईटी बांबे से मेटलर्जिकल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। साल 2001 में पर्रिकर को आईआईटी बांबे ने डिस्टिंग्विस्ड एल्यूमिनी अवॉर्ड से सम्मानित किया. इसके अलावा पर्रिकर आधार कार्ड के जनक नंदन नीलेकणी के सहपाठी भी रहे। गोवा के मुख्यमंत्री होने के बावजूद पर्रिकर मंहगी गाड़ियों को छोड़कर स्कूटर से विधानसभा जाया करते थे। रक्षामंत्री रहने के दौरान भी वह इकोनॉमी क्लॉस में ही सफर करते रहे। वह प्लेन में सफर नहीं करते हैं। पर्रिकर देश के ऐसे नेता हैं, जिनकी छवि बेदाग है। आज तक किसी भी घोटाले में उनका नाम नहीं आया। मोदी साफ-सुथरी छवि के चलते पर्रिकर को बेहद पसंद करते हैं। इसके अलावा वह स्वभाव से दयालु भी हैं। गोवा के सीएम रहते हुए एक दफा उन्होंने अपने जन्मदिन पर खर्च होने वाले पैसे को चेन्नई रिलीफ फंड में भेजने की अपील की थीं वह सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों से जुड़े रहते है और उनकी मदद करते रहते हैं। साल 2007 में हार के बाद मार्च 2012 के गोवा चुनाव में बीजेपी 24 सीटें जीतकर फिर सत्ता में आई और पर्रिकर तीसरी बार सीएम बने। 2014 के लोकसभा चुनाव में गोवा की दोनों सीटें बीजेपी ने जीतीं थी। एक बार अब उनके नाम पर पूर्ण बहुमत ना होने के बाद भी 22 विधायकों की सहमति बन गई है और फिर गोवा के मुख्मयंत्री की कमान संभालेंगे।