60 साल से बरकरार है गंगोत्री विधानसभा सीट का मिथक

उत्तरकाशी: यूं तो चुनाव में संयोग के कोई मायने नहीं होते लेकिन गंगोत्री विधानसभा सीट आज भी एक मिथक के रूप में जानी जाती है। आज़ादी के बाद से ही प्रदेश की जनता इस सीट की जीत और हार को देखकर प्रदेश में बन रही सरकार का अंदाज़ा लगा लेती है। आज भी राज्य की  81121 मतदाताओं वाली गंगोत्री विधानसभा को चमत्कारिक सीट माना जाता है। मिथक है कि जो भी प्रत्याशी इस सीट से चुनाव लड़ता है सत्ता उसी को मिलती है। गंगोत्री सीट से गोपाल सिंह रावत ने जीत दर्ज कर संयोग बरकरार रखा। उन्हें कुल 23838 वोट मिले। उन्होंने अपने निकट प्रतिद्वंदी कांग्रेस के विजय पाल सिंह सजवाण को करारी मात दी। विजय पाल सजवाण को 15342 वोट मिले। वहीं इस सीट से तीसरे स्थान पर निर्दलीय सूरतराम नौटियाल रहे, उन्हें कुल 9152 वोट मिले। पिछले चुनावों के संयोग इस बार भी दोहराए गए और विजयी पार्टी भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद 2002 में राज्य में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के विजयपाल सजवाण कांग्रेस से जीत कर विधानसभा में पहुंचे और कांग्रेस की सरकार बनी। इसके बाद 2007 के चुनाव में भाजपा के गोपाल सिंह रावत विधायक बने थे, तब भाजपा की सरकार प्रदेश में आई थी। 2012 के चुनाव में विजयपाल सजवाण फिर विधायक बने और राज्य में भी कांग्रेस की सरकार बनी। अब राज्य के चौथे विधानसभा चुनाव में भी यह संयोग बरकरार रहा है।