देहरादून: 17 साल के प्रदेश उत्तराखण्ड में यंू तो भाजपा और कांग्रेस ने एक के बाद एक राज किया है लेकिन विकास की बात की जाये तो दोनों पार्टियां एक दूसरे पर आरोप लगाने लगती हैं। हालांकि चुनाव में ये आरोप और वादे आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। एक ऐसा ही वादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार के दौरान उत्तराखण्ड की जनता से कर गये थे जो सबको याद रह गया। वादा ये था कि, ‘‘उत्तराखण्ड को डबल इंजन की जरूरत है। प्रदेश में भाजपा लाइये और फिर हम डबल इंजन बनकर प्रदेश का विकास करेंगे।‘‘ अब उत्तराखण्डवासियों ने डबल इंजन बना दिया है। पहले 2014 में पांचों लोक सभा सीट पर भाजपा को विजयी बनाया था, इसी तरह 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत दिलाकर भाजपा को ड्रांइविंग सीट पर बैठा दिया है। अब इस डबल इंजन में आगे नरेंद्र मोदी हैं और पीछे त्रिवेंद्र रावत। अब देखना ये होगा कि ये इंजन उत्तराखण्ड की रेलगाड़ी को विकास के कितने स्टेशन से होकर गुज़ारेगा। चुनौतियां कम नहीं हैं। अभी आपदा के भी ज़ख्म नहीं भरे हैं। अभी पयर्टन भी विकास की राह देख रहा है। किसानों की मांगे, आंदोलनकारियों की मांगे, संविदाकर्मियों की मांगे, कई राज्य कर्मचारियों की फैडरशन और यूनियन ऐसी हैं जिन्होंनें कई महीनें आंदोलन के रूप में सड़कों पर गुज़ारे हैं। स्थायी राजधानी का मामला, उपनल और सिडकुल का मामला ना जाने कितने ऐसे मुद्दे हैं जो डबल इंजन की मदद के बिना पूरे नहीं हो सकते। ये डबल इंजन अगर तेजी से आगे बढ़ गया तो 2019 भी भाजपा की झोली में गिरने से रोकना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा।
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