दोषी साबित हुए जस्टिस सीएस करनन, 6 महीने की हुई कैद

नई दिल्ली: लोकतंत्र में कार्यपालिका और व्यवस्थापिका पर तो कई बार आरोपों का लगना और दोष साबित होना देखा और सुना गया होगा लेकिन न्यायपालिका भी सवालों के घेरे में आ जाये तो लोकतंत्र का भविष्य अति गंभीर हो सकता है। ठीक ऐसा ही मामला कोलकता हाईकोर्ट से जुड़ा हुआ सामने आया है। भारत के इतिहास में पहली बार किसी वर्तमान जज के खिलाफ कार्यवाही हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस करनन को अवमानना का दोषी करार दिया है। उन्हें कोर्ट ने 6 महीने की सजा सुनाई है और पश्चिम बंगाल के डीजीपी को जस्टिस करनन को तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेजने का आदेश भी दिया है। कोर्ट ने इसी के साथ मीडिया के लिए भी आदेश जारी किया है कि वह जस्टिस करनन का बयान नहीं चलाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी आदेश दिया है कि देश की कोई भी कोर्ट या ट्रिब्यूनल 8 फरवरी के बाद जारी किए गए जस्टिस करनन के आदेश पर संज्ञान ना लें। गौरतलब है कि जस्टिस करनन ने सोमवार को सीजेआई और उनके 6 साथी जजों को एससी/एसटी एक्ट के प्रावधानों के तहत दोषी करार देते हुए पांच साल की सजा के आदेश दिए हैं।
इससे पहले 1 मई को सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ ने जस्टिस करनन की मानसिक जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन के आदेश दिए थे और कहा था कि कोलकाता के सरकारी अस्पताल का मेडिकल बोर्ड चार मई को जस्टिस कर्णन की जांच करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को मेडिकल बोर्ड की मदद के लिए पुलिस टीम बनाने के निर्देश दिए थे और मेडिकल बोर्ड को आठ मई तक रिपोर्ट सौंपनी थी लेकिन जस्टिस करनन ने जांच से इंकार कर दिया और सातों जजों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के आदेश दिए थे।