पांचवें धाम के रूप में विकसित हो जागेश्वर : राज्यपाल

जागेश्वर : राज्यपाल ने प्रसिद्ध जागेश्वर धाम को पांचवें धाम के रूप में विकसित करने की बात करते हुये कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा इसके विकास के लिये अनेक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है ताकि यहाॅ पर अधिकाधिक श्रृद्धालु आ सके। जागेश्वर मंदिर कमेटी द्वारा यहां पर सफाई आदि की व्यवस्था को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह व्यवस्था बनी रहे इसके लिये हमें प्रयास करने होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि इस वर्ष चार धाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों के संख्या को देखकर और अधिक सुविधाए मुहैया कराने के लिए प्रदेश सरकार को कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में अनेक धार्मिक पर्यटन स्थल है जिनका विकास किया जाना है। इस दौरान उन्होंने मन्दिर परिसर का भ्रमण कर अनेक जानकारियाॅ प्राप्त की।
राज्यपाल ने चितई मन्दिर में सपत्नीक पूजा अर्चना की और वहाॅ पर व्यवस्थाओं को देखकर संतोष व्यक्त किया। जागेश्वर में उन्होंने अपनी पत्नी ओमिता पाल के साथ मुख्य जागेश्वर ज्योतिर्लिंगं और महामृत्युंजय मन्दिर में पूजा की और सभी मन्दिरों के दर्शन किये। मन्दिर कमेटी द्वारा किये जा रहे कार्यों व जिलाधिकारी द्वारा मन्दिर के उत्थान हेतु किये जा रहे अनेक कार्यों की भी प्रंशसा की। उन्होंने कहा कि 7वीं, 8वीं शताब्दी में बने यह मन्दिर पाण्डवों के द्वारा निर्मित है। उन्होंने कहा कि आगामी श्रावण माह में देवो के देव महादेव शिवजी की पूजा हेतु विशेष व्यवस्था बनाये रखने हेतु जिला प्रशासन व मन्दिर समिति अभी से सक्रिय रहें।
इससे पूर्व उन्होंने सर्किट हाउस में जिलाधिकारी से आगामी मानसून से पूर्व की तैयारियों का जायजा लिया और व्यवस्थाओं पर संतोष व्यक्त किया और साथ ही उन्होंने पेयजल व्यवस्था के बारे में भी जानकारी प्राप्त की और कहा कि पेयजल की किल्लत न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाय। महामहिम ने कोसी बैराज के बारे में भी जानकारी प्राप्त की और बैराज के समीप सौन्दर्यकरण व पार्किंग व्यवस्था सहित अन्य व्यवस्थायें बनाये रखने के निर्देश दिये।
     राज्यपाल ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पी0 रेणुका देवी से कानून व्यवस्था के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि वाहन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कार्य योजना बनाकर उस पर अमल करने के साथ ही समय-समय पर वाहनो की सघन चैकिंग की जाय। उन्होंने कहा कि युवाओं में बढ़ते नशे की प्रवृत्ति को रोकने के लिए समय-समय पर जागरूता कार्यक्रम चलाये जाय और नशे से होने वाली हानि के बारे में बताया जाय।