देहरादून: लम्बी जद्दोजहद के बाद आखिकार त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश की कमान संभाल ली हैं लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उनकी कैबिनेट को लेकर है। हालांकि इतने प्रचंड बहुमत के बाद किसी के खुलकर विरोध करने का सवाल ही नहीं उठता लेकिन उनकी कैबिनेट में पुराने भाजपाइयों से ज्यादा कांग्रेस से आये बागियों को तवज्जो दी गई है। 7 कैबिनेट और राज्य मंत्री वाली त्रिवेंद्र टीम में सतपाल महाराज, डा. हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य और सुबोध उनियाल ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली है जबकि रेखा आर्य ने राज्य मंत्री की शपथ ली है। कुल मिलाकर 9 में से 5 कांग्रेस के बागी हैं। वहीं पुराने भाजपाइयों में से प्रकाश पंत, मदन कौशिक, अरविन्द पांडे कैबिनेट मंत्री और डा. धन सिंह रावत राज्य मंत्री बने हैं।
उत्तराखण्ड में भाजपा ने 5 साल बाद सत्ता में वापसी की हैं और सत्ता की कमान संघ प्रचारक से झारख्ंाड के प्रभारी तक की भूमिका निभाने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत को मिली है। भाजपा के लिए इसलिए भी अहम था क्योंकि कांग्रेस के कई दमदार नेता अपनी पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। ऐसे में एक ओर कांग्रेस थी और दूसरी कांगे्रसमय भाजपा। इन कांग्रेस से आये बागियों की स्वीकारिता को लेकर भी कई तरह के भ्रम थे और भाजपा के कार्यकर्ता अपनी अनदेखी का रोना रो थे लेकिन जब प्रचंड बहुमत सामने आया और सभी बागी अपनी-अपनी सीट बचाने में कामयाब हो गये तो सबकी ज़बां पर ताला लग गया। इस बहुमत के बाद विरोध की राजनीति का तो कोई मतलब ही नहीं था लेकिन कमल के निशान पर कई बार से जीत हासिल करते आ रहे विधायक अपनी अनदेखी पर असहज दिखाई दिये।