अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में हरीश साल्वे ने रखा भारत का पक्ष

देहरादून: 125 करोड़ भारतवासियों की आस बनकर कुलभूषण जाधव मामले में हरीश साल्वे ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में भारत का पक्ष रखा और न्याय की गुहार लगायी। 11 जजों की इस बेंच में भारत को अपना पक्ष रखने का मौका मिला था जिसमें हरीश साल्वे ने सुनवाई के दौरान कहा कि पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया, इसके तहत उन्होंने कुलभूषण जाधव को किसी से भी मिलने की इजाजत नहीं दी है। कुलभूषण जाधव को फांसी देना मानवाधिकार उल्लंघन है। हरीश साल्वे ने पक्ष रखते हुए कहा कि ना तो कुलभूषण जाधव की मदद की, और ना ही कोई काउंसलर की मदद की। उन्होंने कहा कि जाधव के माता-पिता पाकिस्तान जाना चाहते थे लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें वीज़ा ही नहीं दिया। हरीश साल्वे ने मांग करते हुए कहा कि बिना किसी सुनवाई के पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाये। उन्हांेने ये भी कहा कि कुलभूषण जाधव को 14 मार्च को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद पाकिस्तान की मिलट्री अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई। भारत ने कुल 16 बार इस मामले को लेकर पाकिस्तान के सामने सुनवाई लगाई, लेकिन पाकिस्तान ने भारत की बात नहीं सुनी। भारत को कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी की जानकारी 25 मार्च के बाद मिली, इस ट्रायल के दौरान जाधव के खिलाफ लगाये गये आरोपों और सबूतों को भारत को मुहैया नहीं कराया गया है। हमारे पास एक प्रेस रिपोर्ट की कॉपी है इसके साथ ही पाकिस्तान के अखबार जहां-ए-पाकिस्तान के आर्टिकल को पढ़ते हुए कहा कि भारत को इस मामले की अधिकतर जानकारी पाकिस्तानी मीडिया से मिली है। हमनें कई बार इसका जिक्र किया है कि प्रोविजनल कदम के तहत यह फैसला सुनाया गया है। हरीश साल्वे ने कहा कि भारत के पास जानकारी थी कि जाधव को ईरान से गिरफ्तार किया गया जहां पर वह अपना बिजनेस करता था। भारत को इस मामले की जानकारी एक प्रेस रिलीज के तौर पर दी गई थी, वह भी जब उन्होंने उसे फांसी की सजा सुना दी थी। भारत को बिना बताये उसके नागरिक को गिरफ्तार करना, फिर उसे फांसी की सजा सुनाना पाकिस्तान की ओर से कोई किया गया नियमों का उल्लंघन है।